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बुधवार, २७ नोव्हेंबर, २०१३

1. 


झिंदगी कभी आसान नहीं होती,
सपनों में कोई हक़ीक़त नहीं होती, 
दोस्त तो बस कुछ दिनों के मेहमान होते है,
वरना तो परछाईं भी उजालों में अपनी नहीं होती।

2.


समंदर की गहराई देखकर,
हम कुएँ को भूला गए,
ख़्वाबों के इतने क़रीब आए,
की हक़ीक़त ठुकरा गए,
चोट लगी तो जाना हमने,
इन्सान बेबस है क़िस्मत के सामने,
समंदर कितना ही गहरा क्यों ना हो,
कुएँ का पानी ही लगता है प्यास मिटाने।

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